मुसीबतें भी अलग अलग आकार की होती है
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कहते हैं, मुसीबत कैसी भी हो, जब आनी होती है-आती है और टल जाती है-लेकिन जाते
जाते अपने निशान छोड़ जाती है.
इन निशानियों को बचपन से देखता आ रहा हूँ और ख...
इतिहास रच सकती हूँ मैं
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मैंने आहुति बनकर देखा, यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है - यह कहना है कानपुर
निवासिनी श्री हरीचन्द्र जी और श्रीमती जमुना देवी जी की योग्य सुपुत्री
सुषमा कुमारी ...