तारीखें क्या थीं.....चलो!!! तुम बताओ!!
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वो दूर से भागता हुआ आया था इतनी सुबह...शायर की भाषा में अल सुबह और गर मैं
कहूँ तो कहूँगा सुबह तो इसे क्या..क्यूँकि अभी तो रात की गिरी ओस मिली भी नहीं
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इतिहास रच सकती हूँ मैं
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मैंने आहुति बनकर देखा, यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है - यह कहना है कानपुर
निवासिनी श्री हरीचन्द्र जी और श्रीमती जमुना देवी जी की योग्य सुपुत्री
सुषमा कुमारी ...
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